Thursday, 16 June 2016

निर्जलाएकादशीव्रत

निर्जलाएकादशीव्रत
हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत को महत्वपूर्ण माना गया है । प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशी तिथियां होती हैं। जब मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं। इस व्रत में पानी पीना वर्जित है इसलिये इसे निर्जला एकादशी कहा जाता हैं। व्रतों में निर्जला एकादशी का व्रत सबसे ज्यादा कठिन माना जाता है। इस दिन बिना अन्न-जल ग्रहण किए व्रत करने का विधान है।
#पौराणिकमान्यता
निर्जला एकादशी के पीछे महाभारत से जुड़ी एक कहानी प्रचलित है। कहा जाता है एक बार महर्षि व्यास पांडवों के यहां पधारे। भीम ने महर्षि व्यास से कहा, भगवान! युधिष्ठर, अर्जुन, नकुल, सहदेव, माता कुन्ती और द्रौपदी सभी एकादशी का व्रत करते है और मुझसे भी व्रत रखने को कहते है परन्तु मैं बिना खाए रह नहीं सकता हूं इसलिए मुझे कोई ऐसा व्रत बताइए जिसे करने में मुझे विशेष असुविधा न हो और सबका फल भी मुझे मिल जाये। महर्षि व्यास जानते थे कि भीम ज्यादा देर तक भूखे नहीं रह सकते इसलिए महर्षि व्यास ने भीम से कहा तुम ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी का व्रत रखा करो। इस व्रत से अन्य तेईस एकादशियों के पुण्य का लाभ भी मिलेगा। तुम जीवन पर्यन्त इस व्रत का पालन करो। भीम ने बड़े साहस के साथ निर्जला एकादशी व्रत किया। इसलिए इसे भीमसेन एकादशी भी कहते हैं।
#एकादशीपूजनविधि
निर्जला एकादशी का व्रत करने के लिये दशमी तिथि से ही व्रत के नियमों का पालन आरंभ हो जाता है। इस एकादशी में "ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।  इस दिन गौ दान करने का भी विशेष महत्त्व होता है।
इस दिन व्रत करने के अतिरिक्त जप- तप, गंगा स्नान आदि कार्य करना शुभ रहता है।  इस व्रत में सबसे पहले श्री विष्णुजी की पूजा की जाती है तथा व्रत कथा को सुना जाता है।

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